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- For The First Time Devotees Close The Doors Of Jagatmandir, Sit At Home And Visit The Dwarkadhish Birth Anniversary, Know The Entire Program Today
द्वारकाएक घंटा पहले
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भगवान द्वारकाधीश के जन्म का समय होते ही मंदिर में पुजारी खुशी से झूम उठे।
- मंदिर ट्रस्ट ने कहा- जन्मोत्सव हमेशा की तरह पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार ही हुआ
- कोरोना के चलते इतिहास में पहली बार द्वारकाधीश मंदिर के दरवाजे भक्तों के लिए बंद किए
द्वारकाधीश का जन्म हो गया है। भगवान द्वारकाधीश का जन्म होते ही मंदिर में मौजूद पुजारी सहित सभी लोग खुशी से झूमते हुए नाचने लगे…और इनके साथ ही भगवान द्वारकाधीश के ऑनलाइन दर्शन कर रहे श्रद्धालु… नंद घर आनंद भयो… के जयकारे के साथ झूम उठे। कोरोना महामारी के चलते इतिहास में पहली बार जगत मंदिर यानी द्वारकाधीश मंदिर के दरवाजे इस बार भक्तों के लिए बंद था। मंदिर ट्रस्ट ने आयोजन का लाइव प्रसारण किया, जिससे श्रद्धालु भगवान श्रीकृष्ण के साथ उनकी पूजा-अर्चना के दर्शन किए। मंदिर के पट बंद रहे, लेकिन भगवान द्वारकाधीश के जन्मोत्सव में श्रद्धालुओं का उत्साह कम नहीं हुआ। द्वारका में लोग घरों से बाहर निकल आए और फिर पूरी द्वारकानगरी झूम उठी।

द्वारका में भगवान के जन्मोत्सव आरती के बाद 1650 अभिषेक किए जाते हैं।
इस लिंक पर मंदिर से लाइव दर्शन:
अगले दिन यानी 13 अगस्त का शेड्यूल
13 अगस्त को गुरुवार को पोरणा नोम के चलते पारणा दर्शन सुबह 7 बजे होंगे। सुबह 10.30 से शाम 5 बजे तक दर्शन बंद रहेंगे। शाम की आरती का समय शाम 5 बजे होगा। संध्या आरती रात्रि साढ़े 7 बजे होगी। शयन आरती रात्रि साढ़े 8 बजे होगी और दर्शन रात्रि साढ़े 9 बजे बंद होंगे। 14 अगस्त से मंदिर अनलॉक गाइडलाइन के अनुसार आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा।

वेदोक्त और पुराणोक्त मंत्रों द्वारा दूध, दही, घी, शहद और शक्कर के पंचामृत का अभिषेक किया जाता है। बाद में दूध से अभिषेक किया जाता है।
माखन का भोग लगाएं माखनचोर को
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी की रात में 12 बजे हुआ था। द्वारका में उनके जन्मोत्सव आरती के बाद 1650 अभिषेक किए जाते हैं। इसके बाद वेदोक्त और पुराणोक्त मंत्रों द्वारा दूध, दही, घी, शहद और शक्कर के पंचामृत का अभिषेक किया जाता है। बाद में दूध से अभिषेक किया जाता है। घरों में आप रात के 12 बजे श्रीजी को पालने में विराजमान कर उनकी आरती कर सकते हैं। पंचामृत के अलावा किसी भी मिष्ठान का भोग लगा सकते हैं। भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय चीज माखन है। इसलिए उन्हें खासतौर पर माखन का ही भोग लगाएं।
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