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- Leave From Hospital 2 Days After Surgery; Temporary Nurse Goes On Duty The Next Day; Family Is Also In Service
नाभा (राकेश कुमार)15 मिनट पहले
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पटियाला जिले के गांव सुखेवाल की गुरजीत कौर पीपीई किट में (दाएं), स्वास्थय विभाग की नॉर्मल ड्रेस में।
- थोड़े ही दिन पहले जीएनएम कोर्स पूरा किया है पटियाला जिले के गांव सुखेवाल की गुरजीत कौर ने
- 3 माह से तीन-तीन शिफ्टों में सेवा दे रही है, घुटने की सर्जरी के बावजूद दिखाई देती है पीपीई किट में
- एक भाई फायर ब्रिगेड में सेवारत है तो पिता और दूसरा भाई निभा रहे लंगर सेवा, मंगेतर है फौजी
एक ओर कोरोना की महामारी देश-दुनिया में लोगों की रातों की नींद और दिन का चैन छीने हुए है, वहीं इन्हें निश्चिंत करने के लिए विभिन्न जरूरी सेवाओं में लगे कोरोना वारियर्स के हौसलों का भी कोई जवाब नहीं। नाभा के एक परिवार के जितने भी सदस्य हैं, सभी किसी न किसी रूप में कोरोना पीड़ितों की सेवा कर रहे हैं। इस परिवार में सबसे ऊपर नाम है अस्थायी नर्स के तौर पर काम कर रही गुरजीत कौर का। 1 अगस्त को ही उसके घुटने का ऑपरेशन हुआ था। इसके 2 दिन बाद उसे अस्पताल से छुट्टी मिली तो अगले ही दिन वह ऑन ड्यूटी हो गई। आइए इस परिवार के बारे में थोड़ा विस्तार से बात करते हैं।

गुरजीत कौर अपने माता-पिता और भाइयों के साथ।
पटियाला जिले के नाभा इलाके में पड़ते छोटे से गांव सुखेवाल की करीब 26 वर्षीय गुरजीत कौर ने हाल ही में जीएनएम का कोर्स कंप्लीट किया है। इसके बाद पिछले 3 महीने से मैरिटोरियस स्कूल में बने क्वारैंटाइन सेंटर में अस्थायी तौर पर सेवा दे रही है। पिता कुलविंदर सिंह लकड़ी के कारीगर हैं। मां राज कौर ब्लॉक समिति मेंबर हैं। एक भाई शमशेर सिंह दमकल विभाग में अस्थायी तौर पर काम करता है तो दूसरा भाई रमनजीत सिंह भी छोटे-मोटे धंधे में लगा है। गुरजीत कौर उसका भाई शमशेर सिंह बिना अपनी परवाह किए दिन-रात लोगों की सेवा में लगे हैं, वहीं पिता और दूसरा भाई रमनजीत सिंह भी लंगर तैयार करके पहुंचाने और सरकारी राशन सामग्री वितरण में सहयोग दे रहे हैं। इससे भी बड़ी बात तो यह है कि अस्थायी स्वास्थ्य कर्मचारी गुरजीत कौर के घुटने में अचानक इतनी दिक्कत आ गई कि नौबत ऑपरेशन तक आ गई। 1 अगस्त को दाएं घुटने की सर्जरी हुई है। 3 अगस्त को उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई तो इसके अगले दिन यानि 4 अगस्त को ही वह कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अपनी परवाह किए बिना अपनी सेवा निभाने पहुंच गई। ऑपरेशन के बाद गुरजीत कौर अपनी टांग को मोड़कर नहीं रख सकती। इसे सीधे रखकर ही उठना और बैठना पड़ता है, लेकिन बावजूद इसके वह पीपीई किट पहनकर दिन-रात अपनी मरीजों की देखभाल कर रही है। उधर गुरजीत कौर की धुरी के रहने वाले जगतार सिंह के साथ 11 जनवरी को मंगनी हुई है और अभी शादी होने वाली है। उसका मंगेतर जगतार सिंह एक फौजी जवान है, जो इस समय अति संवेदनशील एरिया जम्मू कश्मीर में सरहद पर देश के लिए अपनी सेवा निभा रहा है। गुरजीत कौर के मायके और होने वाले ससुरालियों दोनों तरफ से उसे पूरी मोरल सपोर्ट है, तभी तो वह बिना रुके-बिना थके लगातार तीन-तीन शिफ्टों में काम कर पा रही है। इस बारे में नाभा से अग्रवाल सभा चेयरमैन रजनीश मित्तल, प्रीत विहार वेलफेयर सोसायटी प्रधान अशोक बिट्टू, समाजसेवी गौरव गाबा, रोटेरियन दलजीत संधू, चरणजीत बातिश, इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के चेयरमैन अमरदीप सिंह खन्ना, मार्केट कमेटी चेयरमैन जगजीत दुलदी, वाइस चेयरमैन जगदीश मग्गो, ट्रक यूनियन वेलफेयर एसोसिएशन प्रधान नवदीप हनी पीपीसीसी चेयरमैन हरि सेठ, संजय मग्गो और युवा नेता विनय मग्गो ने कहा कि गुरजीत कौर का जज्बा काबिल-ए-तारीफ है। एक कन्या की कोख में ही हत्या देने वाले लोगों को इस बारे में थोड़ा ठंडे दिमाग से सोचने की जरूरत है।
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